Sunday, 7 September 2014

आराम



मतंग ऋषि पशु-पक्षियों के प्रति काफी स्नेह रखते थे। अक्सर वह अध्ययन और ईश्वरोपासना के बाद पक्षियों के साथ खेलने लग जाते थे। गौरैया और कौवे उनके इशारे पर जमीन पर उतर आते और उनके कंधों व हाथों पर बैठ जाते थे।



एक दिन जब वे पक्षियों के बीच चहक रहे थे तभी अनंग ऋषि वहां आए। वह मतंग ऋषि का बहुत सम्मान करते थे। उन्हें पक्षियों के साथ खेलते देख वह बोले, 'महाराज, आप इतने बड़े विद्वान होकर बच्चों की तरह चिड़ियों के साथ खेल रहे हैं। इससे आपका मूल्यवान समय नष्ट नहीं होता?'

अनंग ऋषि के इस प्रश्न को सुनकर मतंग ऋषि मुस्करा दिए और उन्होंने अपने एक शिष्य को धनुष लेकर आने के लिए कहा। शिष्य कुछ ही देर में धनुष लेकर आ गया। मतंग ऋषि ने धनुष लिया और उसकी डोरी ढीली करके रख दी।
 
अनंग ऋषि हैरानी से मतंग ऋषि को देखकर बोले, 'आपने धनुष की डोरी ढीली करके क्यों रखी? आप इसके माध्यम से क्या कहना चाहते हैं?'

मतंग ऋषि बोले, 'मैंने तुम्हारे प्रश्न का जवाब दिया है। अब मैं इसे विस्तार से बताता हूं। हमारा मन धनुष की तरह है। अगर धनुष पर डोरी हमेशा चढ़ी रहे तो उसकी मजबूती कुछ ही समय में चली जाती है और वह जल्दी टूट जाता है, किंतु अगर काम पड़ने पर ही इस पर डोरी चढ़ाई जाए तो वह न सिर्फ अधिक समय तक टिकता है, बल्कि उससे काम भी अच्छे तरीके से होता है। इसी प्रकार काम करने पर ही मन को एकाग्र करना चाहिए। काम के बाद यदि उसे आराम मिलता रहे तो मन और अधिक मजबूत होगा। उसे स्फूर्ति मिलेगी। इससे वह लंबे समय तक स्वस्थ रहता है।'

मतंग ऋषि का जवाब सुनकर अनंग ऋषि हाथ जोड़कर बोले, 'मैं आपकी बात समझ गया। अब पता चला कि आप क्यों लगातार हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर रहे हैं।' यह कहकर वह वहां से चले गए।

Saturday, 6 September 2014

सब्र का फल

बात उस समय की है जब महात्मा बुद्ध विश्व भर में भ्रमण करते हुए बौद्ध धर्म का प्रचार कर रहे थे और लोगों को ज्ञान दे रहे थे|

एक बार महात्मा बुद्ध अपने कुछ शिष्यों के साथ एक गाँव में भ्रमण कर रहे थे| उन दिनों कोई वाहन नहीं हुआ करते थे सो लोग पैदल ही मीलों की यात्रा करते थे| ऐसे ही गाँव में घूमते हुए काफ़ी देर हो गयी थी| बुद्ध जी को काफ़ी प्यास लगी थी| उन्होनें अपने एक शिष्य को गाँव से पानी लाने की आज्ञा दी| जब वह शिष्य गाँव में अंदर गया तो उसने देखा वहाँ एक नदी थी जहाँ बहुत सारे लोग कपड़े धो रहे थे कुछ लोग नहा रहे थे तो नदी का पानी काफ़ी गंदा सा दिख रहा था|

शिष्य को लगा की गुरु जी के लिए ऐसा गंदा पानी ले जाना ठीक नहीं होगा, ये सोचकर वह वापस आ गया| महात्मा बुद्ध को बहुत प्यास लगी थी इसीलिए उन्होनें फिर से दूसरे शिष्य को पानी लाने भेजा| कुछ देर बाद वह शिष्य लौटा और पानी ले आया| महात्मा बुद्ध ने शिष्य से पूछा की नदी का पानी तो गंदा था फिर तुम साफ पानी कैसे ले आए| शिष्य बोला की प्रभु वहाँ नदी का पानी वास्तव में गंदा था लेकिन लोगों के जाने के बाद मैने कुछ देर इंतजार किया| और कुछ देर बाद मिट्टी नीचे बैठ गयी और साफ पानी उपर आ गया|

Religious - Buddha  Wallpapers and Backgrounds ID : 372855


बुद्ध यह सुनकर बड़े प्रसन्न हुए और बाकी शिष्यों को भी सीख दी कि हमारा ये जो जीवन है यह पानी की तरह है| जब तक हमारे कर्म अच्छे हैं तब तक सब कुछ शुद्ध है, लेकिन जीवन में कई बार दुख और समस्या भी आते हैं जिससे जीवन रूपी पानी गंदा लगने लगता है| कुछ लोग पहले वाले शिष्य की तरह बुराई को देख कर घबरा जाते हैं और मुसीबत देखकर वापस लौट जाते हैं, वह जीवन में कभी आगे नहीं बढ़ पाते वहीं दूसरी ओर कुछ लोग जो धैर्यशील होते हैं वो व्याकुल नहीं होते और कुछ समय बाद गंदगी रूपी समस्याएँ और दुख खुद ही ख़त्म हो जाते हैं|

तो मित्रों, इस कहानी की सीख यही है कि समस्या और बुराई केवल कुछ समय के लिए जीवन रूपी पानी को गंदा कर सकती है| लेकिन अगर आप धैर्य से काम लेंगे तो बुराई खुद ही कुछ समय बाद आपका साथ छोड़ देगी|

आप लोगों को ये कहानी कैसी लगी, नीचे comment के ज़रिए हमें ज़रूर बताएँ!

Thursday, 21 August 2014

पेन्सिल

एक बालक अपनी दादी मां को एक पत्र लिखते हुए देख रहा था। अचानक उसने अपनी दादी मां से पूंछा, " दादी मां !" क्या आप मेरी शरारतों के बारे में लिख रही हैं ? आप मेरे बारे में लिख रही हैं, ना "
यह सुनकर उसकी दादी माँ रुकीं और बोलीं , " बेटा मैं लिख तो तुम्हारे बारे में ही रही हूँ, लेकिन जो शब्द मैं यहाँ लिख रही हूँ उनसे भी अधिक महत्व इस पेन्सिल का है जिसे मैं इस्तेमाल कर रही हूँ। मुझे पूरी आशा है कि जब तुम बड़े हो जाओगे तो ठीक इसी पेन्सिल की तरह होगे। "


यह सुनकर वह बालक थोड़ा चौंका और पेन्सिल की ओर ध्यान से देखने लगा, किन्तु उसे कोई विशेष बात नज़र नहीं आयी। वह बोला, " किन्तु मुझे तो यह पेन्सिल बाकी सभी पेन्सिलों की तरह ही दिखाई दे रही है।"

इस पर दादी माँ ने उत्तर दिया," बेटा ! यह इस पर निर्भर करता है कि तुम चीज़ों को किस नज़र से देखते हो। इसमें पांच ऐसे गुण हैं, जिन्हें यदि तुम अपना लो तो तुम सदा इस संसार में शांतिपूर्वक रह सकते हो। "

" पहला गुण : तुम्हारे भीतर महान से महान उपलब्धियां प्राप्त करने की योग्यता है, किन्तु तुम्हें यह कभी भूलना नहीं चाहिए कि तुम्हे एक ऐसे हाथ की आवश्यकता है जो निरन्तर तुम्हारा मार्गदर्शन करे। हमारे लिए वह हाथ ईश्वर का हाथ है जो सदैव हमारा मार्गदर्शन करता रहता है। "

"दूसरा गुण : बेटा ! लिखते, लिखते, लिखते बीच में मुझे रुकना पड़ता है और फ़िर कटर से पेन्सिल की नोक बनानी पड़ती है। इससे पेन्सिल को थोड़ा कष्ट तो होता है, किन्तु बाद में यह काफ़ी तेज़ हो जाती है और अच्छी चलती है। इसलिए बेटा ! तुम्हें भी अपने दुखों, अपमान और हार को बर्दाश्त करना आना चाहिए, धैर्य से सहन करना आना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से तुम एक बेहतर मनुष्य बन जाओगे। "

" तीसरा गुण : बेटा ! पेन्सिल हमेशा गलतियों को सुधारने के लिए रबर का प्रयोग करने की इजाज़त देती है। इसका यह अर्थ है कि यदि हमसे कोई गलती हो गयी तो उसे सुधारना कोई गलत बात नहीं है। बल्कि ऐसा करने से हमें न्यायपूर्वक अपने लक्ष्यों की ओर निर्बाध रूप से बढ़ने में मदद मिलती है। "

" चौथा गुण : बेटा ! एक पेन्सिल की कार्य प्रणाली में मुख्य भूमिका इसकी बाहरी लकड़ी की नहीं अपितु इसके भीतर के 'ग्रेफाईट' की होती है। ग्रेफाईट या लेड की गुणवत्ता जितनी अच्छी होगी,लेख उतना ही सुन्दर होगा। इसलिए बेटा ! तुम्हारे भीतर क्या हो रहा है, कैसे विचार चल रहे हैं, इसके प्रति सदा सजग रहो। "

"अंतिम गुण : बेटा ! पेन्सिल सदा अपना निशान छोड़ देती है। ठीक इसी प्रकार तुम कुछ भी करते हो तो तुम भी अपना निशान छोड़ देते हो।अतः सदा ऐसे कर्म करो जिन पर तुम्हें लज्जित न होना पड़े अपितु तुम्हारा और तुम्हारे परिवार का सिर गर्व से उठा रहे। अतः अपने प्रत्येक कर्म के प्रति सजग रहो। "

Sunday, 29 June 2014

Self-confidence बढाने के 10 तरीके

SOURCE:- 


इस  बात  से  कोई  इनकार  नहीं  कर  सकता ->  जीवन  में  सफलता  पाने  के  लिए  self-confidence एक  बेहद  important quality है . जीवन  में  किसी मुकाम  पर  पहुंच  चुके  हर  एक  व्यक्ति  में  आपको    ये quality दिख  जाएगी , फिर  चाहे  वो  कोई  film-star हो  , कोई  cricketer, आपके  पड़ोस  का  कोई  व्यक्ति , या  आपको  पढ़ाने  वाला  शिक्षक  . आत्मविश्वास एक  ऐसा गुण है जो हर  किसी  में होता है , किसी  में  कम  तो किसी  में  ज्यादा . पर  ज़रुरत  इस बात की है  कि  अपने  present level of confidence को  बढ़ा  कर  एक  नए  और  बेहतर  level तक  ले  जाया  जाये . और  आज   AKC पर  मैं  आपके  साथ  कुछ  ऐसी  ही  बातें  share करूँगा  जो  आपके  आत्म-विश्वास  को बढाने में मददगार  हो  सकती हैं :
1)  Dressing sense improve कीजिये :
आप  किस  तरह  से  dress-up होते  हैं  इसका  असर  आपके  confidence पर  पड़ता  है . ये  बता  दूँ  कि  यहाँ  मैं  अपने  जैसे आम लोगों  की  बात  कर  रहा  हूँ , Swami Vivekanand और  Mahatma Gandhiजैसे  महापुरुषों  का  इससे  कोई  लेना  देना  नहीं  है , और  यदि  आप  इस  category में  आते  हैं  तो  आपका  भी :).
 मैंने  खुद  इस  बात  को  feel किया  है  , जब  मैं  अपनी  best attire में  होता  हूँ  तो  automatically मेरा  confidence बढ़  जाता  है , इसीलिए  जब  कभी  कोई  presentation या  interview होता  है  तो  मैं  बहुत  अच्छे  से  तैयार  होता  हूँ . दरअसल  अच्छा  दिखना  आपको  लोगों  को  face करने  का  confidence देता  है  और  उसके  उलट  poorly dress up होने  पे  आप  बहुत conscious रहते  हैं .
मैंने  कहीं  एक  line पढ़ी  थी  ,” आप  कपड़ों  पे  जितना  खर्च  करते  हैं  उतना  ही  करें , लेकिन  जितनी  कपडे  खरीदते  हैं  उसके  आधे  ही खरीदें ” . आप भी इसे अपना सकते हैं.
2)  वो  करिए   जो  confident लोग  करते  हैं :
आपके  आस -पास  ऐसे  लोग  ज़रूर  दिखेंगे  जिन्हें  देखकर  आपको  लगता  होगा  कि  ये व्यक्ति  बहुत  confident है . आप  ऐसे  लोगों  को  ध्यान  से  देखिये  और  उनकी  कुछ  activities को  अपनी  life में  include करिए . For example:
•             Front seat पर  बैठिये .
•             Class में , seminars में , और  अन्य  मौके  पर  Questions पूछिए / Answers दीजिये
•             अपने चलने और बैठने के ढंग पर ध्यान दीजिये
•             दबी  हुई  आवाज़  में  मत  बोलिए .
•             Eye contact कीजिये , नज़रे  मत  चुराइए .
3)  किसी  एक   चीज  में  अधिकतर  लोगों  से  बेहतर   बनिए :
हर  कोई  हर  field में  expert नहीं  बन सकता  है , लेकिन  वो  अपने  interest के  हिसाब  से  एक -दो  areas चुन  सकता  है  जिसमे  वो  औरों  से  बेहतर  बन  सकता  है . जब  मैं   School में  था  तो  बहुत  से  students मुझसे  पढाई  और  अन्य  चीजों  में  अच्छे  थे , पर  मैं  Geometry  में  class में  सबसे  अच्छा  था (thanks to Papa :)), और  इसी  वजह  से  मैं  बहुत  confident feel करता  था .  और  आज  मैं  AKCको  world’s most read Hindi Blog बना  कर  confident feel करता  हूँ . अगर  आप  किसी  एक  चीज  में  महारथ  हांसिल  कर  लेंगे  तो  वो  आपको  in-general confident बना  देगा . बस  आपको  अपने  interest के  हिसाब  से  कोई  चीज  चुननी  होगी  और  उसमे  अपने  circle में  best बनना  होगा , आपका  circle आप पर  depend करता  है , वो  आपका  school,college, आपकी  colony या  आपका  शहर  हो  सकता  है .
आप  कोई  भी  field चुन  सकते  हैं  , वो कोई  art हो  सकती  है , music, dancing,etc कोई  खेल  हो  सकता  है , कोई  subject हो  सकता  है  या  कुछ  और जिसमे आपकी expertise  आपको  भीड़  से  अलग  कर  सके  और आपकी  एक  special जगह  बना  सके . ये  इतना  मुश्किल  नहीं  है , आप  already किसी  ना  किसी  चीज  में  बहुतों  से  बेहतर  होंगे , बस  थोडा  और  मेहनत  कर  के  उसमे  expert बन  जाइये , इसमें  थोडा  वक़्त   तो  लगेगा ,  लेकिन  जब  आप  ये  कर  लेंगे  तो  सभी  आपकी  respect करेंगे  और  आप  कहीं  अधिक  confident feel करेंगे .
और  जो  व्यक्ति  किसी  क्षेत्र  में  special बन  जाता है  उसे  और  क्षेत्रों  में  कम   knowledge होने की चिंता  नहीं होती , आप  ही  सोचिये  क्या  कभी सचिन  तेंदुलकर इस  बात  से  परेशान  होते  होंगे  कि  उन्होंने  ज्यादा  पढाई  नहीं  की ….कभी  नहीं !
 4)  अपने  achievements  को  याद  करिए  :
आपकी  past achievements आपको  confident feel करने  में  help करेंगी . ये  छोटी -बड़ी  कोई  भी  achievements हो  सकती  हैं . For example: आप  कभी  class में  first आये  हों , किसी  subject में school top किया  हो , singing completion या  sports में  कोई  जीत  हांसिल  की हो ,  कोई  बड़ा  target achieve किया  हो , employee of the month रहे  हों . कोई  भी  ऐसी  चीज  जो  आपको  अच्छा  feel कराये .
आप  इन  achievements को dairy में  लिख  सकते  हैं , और  इन्हें  कभी  भी  देख  सकते  हैं , ख़ास  तौर  पे  तब  जब  आप  अपना  confidence boost करना  चाहते  हैं .इससे  भी  अच्छा  तरीका  है  कि  आप  इन  achievements से  related कुछ  images अपने  दिमाग  में  बना  लें  और  उन्हें  जोड़कर  एक  छोटी  सी  movie बना  लें  और  समय  समय  पर  इस  अपने  दिमाग  में  play करते  रहे . Definitely ये  आपके  confidence को  boost करने  में मदद  करेगा .
5) Visualize करिए  कि  आप  confident हैं :
आपकी  प्रबल  सोच  हकीकत बनने  का  रास्ता  खोज  लेती  है , इसलिए  आप  हर  रोज़  खुद  को  एक   confident person के  रूप  में  सोचिये . आप  कोई  भी  कल्पना  कर  सकते  हैं , जैसे  कि  आप  किसी  stage पर  खड़े  होकर  हजारों  लोगों  के  सामने  कोई  भाषण  दे  रहे  हैं , या  किसी  seminar haal में  कोई  शानदार  presentation दे  रहे  हैं , और  सभी  लोग  आपसे  काफी  प्रभावित  हैं , आपकी  हर  तरफ  तारीफ  हो  रही  है  और  लोग  तालियाँ  बजा  कर  आपका  अभिवादन  कर  रहे  हैं . Albert Einstein ने  भी  imagination को  knowledge से अधिक  powerful बताया  है ; और  आप  इस  power का  use कर  के  बड़े  से  बड़ा  काम  कर  सकते  हैं .

6) गलतियाँ   करने  से  मत  डरिये:
क्या  आप  ऐसे  किसी  व्यक्ति  को  जानते  हो  जिसने  कभी  गलती  ना  की  हो ? नहीं  जानते  होंगे , क्योंकि  गलतियाँ  करना  मनुष्य  का  स्वभाव  है , और  मैं  कहूँगा  कि  जन्मसिद्ध  अधिकार  भी . आप  अपने  इस  अधिकार  का  प्रयोग  करिए . गलती  करना  गलत  नहीं  है ,उसे  दोहराना  गलत  है . जब  तक  आप  एक  ही  गलती  बार -बार  नहीं  दोहराते  तब  तक  दरअसल  आप  गलती  करते  ही  नहीं  आप  तो  एक  प्रयास  करते  हैं  और  इससे  होने  वाले  experience से  कुछ  ना  कुछ  सीखते  हैं .
दोस्तों  कई  बार  हमारे  अन्दर  वो  सब  कुछ  होता  है  जो  हमें  किसी काम  को  करने  के  लिए  होना  चाहिए , पर  फिर  भी  failure के डर से  हम  confidently उस  काम  को  नहीं  कर  पाते .  आप  गलतियों  के  डर  से  डरिये  मत , डरना  तो उन्हें चाहिए जिनमे इस भय के कारण  प्रयास  करने  की  भी  हिम्मत  ना  हो !! आप  जितने  भी  सफल  लोगों  का  इतिहास  उठा  कर  देख  लीजिये  उनकी  सफलता  की  चका-चौंध  में  बहुत  सारी  असफलताएं  भी  छुपी  होंगी .
Michel Jordan, जो  दुनिया  के  अब  तक  के  सर्वश्रेष्ठ basketball player माने   जाते  हैं; उनका  कहना  भी  है  कि  , “मैं अपनी जिंदगी में बार-बार असफल हुआ हूँ और इसीलिए मैं सफल होता हूँ.”
आप  कुछ   करने  से  हिचकिचाइए  मत  चाहे  वो  खड़े  हो  कर कोई सवाल करना हो , या  फिर  कई  लोगों  के  सामने  अपनी  बात   रखनी  हो , आपकी  जरा  सी  हिम्मत  आपके  आत्मविश्वास  को  कई  गुना  बढ़ा  सकती  है . सचमुच डर के आगे जीत है!
7)  Low confidence के  लिए  अंग्रेजी  ना  जानने  का  excuse मत  दीजिये :
हमारे  देश  में  अंग्रेजी  का वर्चस्व  है . मैं  भी  अंग्रेजी  का ज्ञान  आवश्यक  मानता  हूँ ,पर  सिर्फ  इसलिए  क्योंकि  इसके  ज्ञान  से  आप  कई  अच्छी  पुस्तकें , ब्लॉग  , etc पढ़  सकते  हैं , आप  एक  से  बढ़कर  एक  programs, movies, इत्यादि  देख  सकते  हैं . पर  क्या  इस  भाषा  का  ज्ञान  confident होने  के  लिए  आवश्यक  है , नहीं .  English जानना  आपको  और  भी  confident बना  सकता  है  पर  ये  confident होने  के  लिए  ज़रूरी  नहीं  है . किसी  भी  भाषा  का  मकसद  शब्दों  में  अपने  विचारों   को  व्यक्त   करना  होता  है , और  अगर  आप  यही  काम  किसी  और  भाषा  में  कर  सकते  हैं  तो आपके लिए अंग्रेजी  जानने  की  बाध्यता  नहीं  है .
मैं  गोरखपुर  से  हूँ , वहां  के  संसद   योगी  आदित्य  नाथ  को  मैंने  कभी  अंग्रेजी में  बोलते  नहीं  सुना  है , पर  उनके  जैसा  आत्मविश्वास  से  लबरेज़  नेता  भी  कम   ही  देखा  है . इसी  तरह  मायावती , और  मुलायम  सिंह  जैसे  नेताओं में  आत्मविश्वास  कूट -कूट  कर  भरा  है  पर  वो  हमेशा  हिंदी  भाषा का  ही  प्रयोग  करते  हैं . दोस्तों, कुछ  जगहों  पर  जैसे  कि job-interview में  अंग्रेजी  का  ज्ञान  आपके  चयन  के  लिए  ज़रूरी  हो  सकता  है , पर  confidence के  लिए  नहीं , आप  बिना  English जाने  भी  दुनिया  के  सबसे  confident  व्यक्ति  बन  सकते  हैं .
8 ) जो  चीज  आपका आत्मविश्वास  घटाती  हो  उसे  बार-बार  कीजिये :
कुछ  लोग  किसी  ख़ास  वजह  से  confident नहीं  feel करते  हैं . जैसे  कि  कुछ  लोगों में  stage-fear होता  है  तो  कोई  opposite sex के  सामने  nervous हो  जाता  है . यदि  आप  भी  ऐसे  किसी  challenge को  face कर  रहे  हैं  तो  इसे beat करिए . और  beat करने  का  सबसे  अच्छा  तरीका  है  कि  जो  activity आपको  nervous करती  है  उसे  इतनी  बार  कीजिये  कि  वो  आप ताकत  बन  जाये . यकीन  जानिए  आपके  इस  प्रयास  को  भले  ही शुरू  में  कुछ  लोग  lightly लें  और  शायद  मज़ाक  भी  उडाएं  पर  जब  आप  लगातार अपने efforts  में लगे  रहेंगे  तो  वही  लोग  एक  दिन  आपके  लिए  खड़े  होकर  ताली  बजायेंगे .
 गाँधी जी की कही एक  line मुझे  हमेशा  से  बहुत  प्रेरित  करती  रही  है  “पहले वो आप पर ध्यान नहीं देंगे, फिर वो आप पर हँसेंगे, फिर वो आप से लड़ेंगे, और तब आप जीत जायेंगे.”  तो  आप  भी  उन्हें  ignore करने  दीजिये , हंसने  दीजिये ,लड़ने  दीजिये ,पर  अंत  में आप  जीत जाइये . क्योंकि  आप  जीतने  के  लिए  ही  यहाँ  हैं , हारने  के  लिए  नहीं .
9) विशेष  मौकों  पर  विशेष  तैयारी  कीजिये :
“सफलता  के  लिए  आत्म-विश्वास  आवश्यक  है, और आत्म-विश्वास   लिए तैयारी”-Arthur Ashe
जब  कभी  आपके  सामने  खुद  को   prove करने  का  मौका  हो  तो  उसका  पूरा  फायदा  उठाइए . For example: आप  किसी  debate,quiz, dancing या  singing competition में  हिस्सा  ले  रहे  हों , कोई  test या  exam दे  रहे  हो ,या  आप  कोई  presentation दे  रहे  हों , या  कोई  program organize कर  रहे  हों . ऐसे  हर एक  मौके  के  लिए  जी -जान   से  जुट  जाइये  और  बस  ये  ensure करिए  कि  आपने  तैयारी  में  कोई  कमी  नहीं  रखी , अब  result चाहे जो भी  हो  पर  कोई  आपकी  preparation को  लेकर  आप  पर  ऊँगली  ना  उठा  पाए.
Preparation और  self-confidence directly proportional हैं . जितनी  अच्छी  तैयारी  होगी  उतना  अच्छा  आत्म -विश्वास  होगा .और  जब  इस  तैयारी  की  वजह  से  आप  सफल  होंगे  तो  ये  जीत  आपके life की success story में  एक  और  chapter बन  जाएगी  जिसे  आप  बार -बार  पलट  के  पढ़  सकते  हैं  और  अपना  confidence boost कर  सकते  हैं .
10)Daily अपना  MIT पूरा  कीजिये :
कुछ  दिन  पहले  मैंने  AKC पर  MIT यानि  Most Important Task के  बारे  में  लिखा  था , यदि  आपने  इसे  नहीं  पढ़ा  है  तो  ज़रूर  पढ़िए . यदि  आप  अपना  daily का  MIT पूरा  करते  रहेंगे  तो   निश्चित  रूप  से  आपका  आत्म -विश्वास  कुछ  ही  दिनों  में  बढ़  जायेगा . आप  जब  भी  अपना  MIT पूरा  करें  तो  उसे  एक  छोटे  success के  रूप  में देखें  और  खुद  को  इस  काम  के  लिए  शाबाशी  दें .रोज़  रोज़  लगातार  अपने  important tasks को  successfully पूरा  करते  रहना  शायद  अपने  confidence को  boost करने का सबसे  कारगर  तरीका  है .  आप इसे ज़रूर try कीजिये.
Friends, ये  याद  रखिये  कि  आपका  confidence आपकी  education, आपकी financial condition या आपके looks पर नहीं depend करता और आपकी इज़ाज़त के बिना कोई भी आपको inferior नहीं feel करा सकता. आपका आत्म-विश्वास आपकी सफलता के लिए बेहद आवश्यक है,और आज आपका confidence चाहे जिस level हो, अपने efforts से आप उसे नयी ऊँचाइयों तक पहुंचा सकते हैं.
All the best!

Monday, 23 June 2014

ज़िन्दगी चलती जाती है !

True Inspirational Hindi Story
जब जूलियो 10 साल का था तो उसका बस एक ही सपना था , अपने फेवरेट क्लब रियल मेड्रिड की ओर से फुटबाल खेलना ! वह दिन भर खेलता, प्रैक्टिस करता और धीरे-धीरे वह एक बहुत अच्छा गोलकीपर बन गया. 20 का होते-होते उसके बचपन का सपना हकीकत बनने के करीब पहुँच गया; उसे रियल मेड्रिड की तरफ से फुटबाल खेलने के लिए साइन कर लिया गया. खेल के धुरंधर जूलियो से बहुत प्रभावित थे और ये मान कर चल रहे थे कि बहुत जल्द वह स्पेन का नंबर 1 गोलकीपर बन जायेगा.
1963 की एक शाम , जूलियो और उसके दोस्त कार से कहीं घूमने निकले. पर दुर्भाग्यवश उस कार का एक भयानक एक्सीडेंट हो गया , और रियल मेड्रिड और स्पेन का नंबर 1 गोलकीपर बनने वाला जूलियो हॉस्पिटल में पड़ा हुआ था , उसके कमर के नीचे का हिस्सा पैरलाइज हो चुका था. डॉक्टर्स इस बात को लेकर भी आस्वस्थ नहीं थे कि जूलियो फिर कभी चल पायेगा, फ़ुटबाल खेलना तो दूर की बात थी.
वापस ठीक होना बहुत लम्बा और दर्दनाक अनुभव था. जूलियो बिलकुल निराश हो चुका था , वह बार-बार उस घटना को याद करता और क्रोध और मायूसी से भर जाता. अपना दर्द कम करने के लिए वह रात में गाने और कविताएँ लिखने लगा. धीरे-धीरे उसने गिटार पर भी अपना हाथ आजमाना शुरू किया और उसे बजाते हुए अपने लिखे गाने भी गाने लगा.
18 महीने तक बिस्तर पर रहने के बाद , जूलियो अपनी ज़िन्दगी को फिर से सामान्य बनाने लगा. एक्सीडेंट के पांच साल बाद उसने एक सिंगिंग कम्पटीशन में भाग लिया और ” लाइफ गोज ओन द सेम ” गाना गा कर फर्स्ट प्राइज जीता.
वह फिर कभी फ़ुटबाल नहीं खेल पाया पर अपने हाथों में गिटार और होंठों पे गाने लिए जूलियो इग्लेसियस संगीत की दुनिया में टॉप -10 सिंगर्स में शुमार हुआ ,और अब तक उनके 30 करोड़ से अधिक एल्बम बिक चुके हैं.

Saturday, 31 May 2014

Heaven – स्वर्ग

एक यात्री अपने घोड़े और कुत्ते के साथ सड़क पर चल रहा था. जब वे एक विशालकाय पेड़ के पास से गुज़र रहे थे तब उनपर आसमान से बिजली गिरी और वे तीनों तत्क्षण मर गए. लेकिन उन तीनों को यह प्रतीत नहीं हुआ कि वे अब जीवित नहीं है और वे चलते ही रहे. कभी-कभी मृत प्राणियों को अपना शरीरभाव छोड़ने में समय लग जाता है.

उनकी यात्रा बहुत लंबी थी. आसमान में सूरज ज़ोरों से चमक रहा था. वे पसीने से तरबतर और बेहद प्यासे थे. वे पानी की तलाश करते रहे. सड़क के मोड़ पर उन्हें एक भव्य द्वार दिखाई दिया जो पूरा संगमरमर का बना हुआ था. द्वार से होते हुए वे स्वर्ण मढ़ित एक अहाते में आ पहुंचे. अहाते के बीचोंबीच एक फव्वारे से आईने की तरह साफ़ पानी निकल रहा था.
यात्री ने द्वार की पहरेदारी करनेवाले से कहा:
“नमस्ते, यह सुन्दर जगह क्या है?
“यह स्वर्ग है”.
“कितना अच्छा हुआ कि हम चलते-चलते स्वर्ग आ पहुंचे. हमें बहुत प्यास लगी है.”
“तुम चाहे जितना पानी पी सकते हो”.
“मेरा घोड़ा और कुत्ता भी प्यासे हैं”.
“माफ़ करना लेकिन यहाँ जानवरों को पानी पिलाना मना है”
यात्री को यह सुनकर बहुत निराशा हुई. वह खुद बहुत प्यासा था लेकिन अकेला पानी नहीं पीना चाहता था. उसने पहरेदार को धन्यवाद दिया और अपनी राह चल पड़ा. आगे और बहुत दूर तक चलने के बाद वे एक बगीचे तक पहुंचे जिसका दरवाज़ा जर्जर था और भीतर जाने का रास्ता धूल से पटा हुआ था.
भीतर पहुँचने पर उसने देखा कि एक पेड़ की छाँव में एक आदमी अपने सर को टोपी से ढंककर सो रहा था.
“नमस्ते” – यात्री ने उस आदमी से कहा – “मैं, मेरा घोड़ा और कुत्ता बहुत प्यासे हैं. क्या यहाँ पानी मिलेगा?”
उस आदमी ने एक ओर इशारा करके कहा – “वहां चट्टानों के बीच पानी का एक सोता है. जाओ जाकर पानी पी लो.”
यात्री अपने घोड़े और कुत्ते के साथ वहां पहुंचा और तीनों ने जी भर के अपनी प्यास बुझाई. फिर यात्री उस आदमी को धन्यवाद कहने के लिए आ गया.
“यह कौन सी जगह है?”
“यह स्वर्ग है”.
“स्वर्ग? इसी रास्ते में पीछे हमें एक संगमरमरी अहाता मिला, उसे भी वहां का पहरेदार स्वर्ग बता रहा था!”
“नहीं-नहीं, वह स्वर्ग नहीं है. वह नर्क है”.
यात्री अब अपना आपा खो बैठा. उसने कहा – “भगवान के लिए ये सब कहना बंद करो! मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है कि यह सब क्या है!”
आदमी ने मुस्कुराते हुए कहा – “नाराज़ न हो भाई, संगमरमरी स्वर्ग वालों का तो हमपर बड़ा उपकार है. वहां वे सभी लोग रुक जाते हैं जो अपने भले के लिए अपने सबसे अच्छे दोस्तों को भी छोड़ सकते हैं.”
(यह कहानी पाउलो कोएलो की किताब “The Devil and Miss Prym” से ली गयी है. 
A man, his horse and his dog were traveling down a road. When they were passing by a gigantic tree, a bolt of lightning struck and they all fell dead on the spot.
But the man did not realize that he had already left this world, so he went on walking with his two animals; sometimes the dead take time to understand their new condition…
The journey was very long, uphill, the sun was strong and they were covered in sweat and very thirsty. They were desperately in need of water. At a bend in the road they spotted a magnificent gateway, all in marble, which led to a square paved with blocks of gold and with a fountain in the center that spouted forth crystalline water.
The traveler went up to the man guarding the gate.
“Good morning. What is this beautiful place?”
“This is heaven.”
“How good to have reached heaven, we’re ever so thirsty.”
“You can come in and drink all you want.”
“My horse and my dog are thirsty too.”
“So sorry, but animals aren’t allowed in here.”
The man was very disappointed because his thirst was great, but he could not drink alone; he thanked the man and went on his way. After travelling a lot, they arrived exhausted at a farm whose entrance was marked with an old doorway that opened onto a tree-lined dirt road.
A man was lying down in the shadow of one of the trees, his head covered with a hat, perhaps asleep.
“Good morning,” said the traveller. “We are very thirsty – me, my horse and my dog.”
“There is a spring over in those stones,” said the man, pointing to the spot. “Drink as much as you like.”
The man, the horse and the dog went to the spring and quenched their thirst. Then the traveler went back to thank the man.
“By the way, what’s this place called?”
“Heaven.”
“Heaven? But the guard at the marble gate back there said that was heaven!”
“That’s not heaven, that’s hell.”
The traveler was puzzled.
“You’ve got to stop this! All this false information must cause enormous confusion!”
The man smiled: “Not at all. As a matter of fact they do us a great favor. Because over there stay all those who are even capable of abandoning their best friends…”

Monday, 26 May 2014

चमड़े का जूता




एक बार की बात है एक राजा था। उसका एक बड़ा-सा राज्य था। 

एक दिन उसे देश घूमने का विचार आया और उसने देश भ्रमण की योजना बनाई और घूमने निकल पड़ा। जब वह यात्रा से लौट कर अपने महल आया,उसने अपने मंत्रियों से पैरों में दर्द होने की शिकायत की। 
राजा का कहना था कि मार्ग में जो कंकड़ पत्थर थे वे मेरे पैरों में चुभ गए और इसके लिए कुछ इंतजाम करना चाहिए।

कुछ देर विचार करने के बाद उसने अपने सैनिकों व मंत्रियों को आदेश दिया कि देश की संपूर्ण सड़कें चमड़े से ढंक दी जाएं। 


राजा का ऐसा आदेश सुनकर सब सकते में आ गए।
लेकिन किसी ने भी मना करने की हिम्मत नहीं दिखाई। यह तो निश्चित ही था कि इस काम के लिए बहुत सारे रुपए की जरूरत थी। लेकिन फिर भी किसी ने कुछ नहीं कहा। 


कुछ देर बाद राजा के एक बुद्घिमान मंत्री ने एक युक्ति निकाली।

उसने राजा के पास जाकर डरते हुए कहा कि मैं आपको एक सुझाव देना चाहता हूँ।

अगर आप इतने रुपयों को अनावश्यक रूप से बर्बाद न करना चाहें तो एक अच्छी तरकीब मेरे पास है। जिससे आपका काम भी हो जाएगा और अनावश्यक रुपयों की बर्बादी भी बच जाएगी।
राजा आश्चर्यचकित था क्योंकि पहली बार किसी ने उसकी आज्ञा न मानने की बात कही थी।
उसने कहा बताओ क्या सुझाव है।
 

मंत्री ने कहा कि पूरे देश की सड़कों को चमड़े से ढंकने के बजाय आप चमड़े के एक टुकड़े का उपयोग कर अपने पैरों को ही क्यों नहीं ढंक लेते।

राजा ने अचरज की दृष्टि से मंत्री को देखा और उसके सुझाव को मानते हुए अपने लिए जूता बनवाने का आदेश दे दिया।

यह कहानी हमें एक महत्वपूर्ण पाठ सिखाती है कि हमेशा ऐसे हल के बारे में सोचना चाहिए जो ज्यादा उपयोगी हो। जल्दबाजी में अप्रायोगिक हल सोचना बुद्धिमानी नहीं है।
दूसरों के साथ बातचीत से भी अच्छे हल निकाले जा सकते हैं।